एससीबीए पूर्व अध्यक्ष की याचिका पर केंद्र, मेटा और व्हाट्सएप को हाई कोर्ट का नोटिस
याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप का ये कदम मौलिक अधिकारों का हनन है और इससे उनके प्रोफेशनल काम पर असर पड़ा है। याचिका में अग्रवाला ने कहा है कि उनका व्हाट्सएप अकाउंट बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के ही निलंबित कर दिया गया है। व्हाट्सएप ने उनके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल डाटा को रिकवर करने का मौका दिए बिना ही उनके अकाउंट को निलंबित कर दिया है। उनके व्हाट्सएप अकाउंट में कई कानूनी ड्राफ्ट, नोट्स, बार काउंसिल के चुनाव से जुड़ी सामग्री के कई सारे केसों से जुड़े गोपनीय दस्तावेज थे।
याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप ने ऐसे समय अग्रवाला का अकाउंट निलंबित किया है जब वो बैंकाक, लंदन, दुबई और दूसरे स्थानों पर अपने प्रोफेशनल काम में लगे हुए थे। याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप का ये कदम संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए), 19(1)(जी) और 21 का उल्लंघन है। याचिका में केएस पुट्टुस्वामी बनाम केंद्र सरकार में उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें किसी व्यक्ति की निजता, गरिमा और स्वायतता की रक्षा की बात कही गयी है। याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप ने भारत में किसी ग्रीवांस अफसर (शिकायत निवारण अधिकारी) की नियुक्ति नहीं की है जो समय पर शिकायतों का संज्ञान ले सके और कानून के मुताबिक कार्रवाई कर सके। अग्रवाला ने व्हाट्सएप के गुरुग्राम स्थित दफ्तर जाकर 13 अक्टूबर को अपनी शिकायत रखी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।









