एक महिला ने मांगा भरण पाेषण, ताे खड्क बाेले, उसकी पत्नी की हाे चुकी 2020 में माैत, जांच के आदेश
प्राप्त जानकारी के अनुसार पारिवारिक न्यायालय नैनीताल ने पति खड़क सिंह को न्यायालय में वाद दायर करने वाली उसकी पत्नी धनुली देवी को अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया था, जिसके विरुद्ध खड़क सिंह ने पुनरीक्षण याचिका दायर कर कहा कि अदालत में उपस्थित महिला उनकी पत्नी नहीं है, बल्कि घर में घरेलू कार्य करने वाली महिला है, जिसने पेंशन व भरण-पोषण पाने के लिए झूठा दावा किया है। अदालत में महिला ने आधार कार्ड में दर्ज नामों के आधार पर अपने माता-पिता का नाम दुर्गा देवी व बिलोब सिंह पति का नाम खड़क सिंह बताया, तथा दावा किया कि खड़क सिंह ने ही उसकी पुत्री का विवाह कराया था। दूसरी ओर खड़क सिंह ने सभी दावों को असत्य बताया।
इस बीच रिकॉर्ड में धनुली देवी नाम की एक अन्य महिला के 2020 में निधन का प्रमाण भी प्रस्तुत हुआ, जिससे प्रकरण और गंभीर हो गया। ऐसे में न्यायमूर्ति आशीष नैथानी ने पाया कि पारिवारिक न्यायालय ने महिला की वास्तविक पहचान, वैवाहिक स्थिति तथा कथित वैवाहिक संबंध से जुड़े तथ्यों की पूर्ण जांच नहीं की थी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले में दस्तावेजी साक्ष्य के साथ मौखिक बयान, सामाजिक पहचान, निवास और विवाह से जुड़े प्रमाणों की भी गहन जांच अनिवार्य है।
इस आधार पर उच्च न्यायालय ने पारिवारिक न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया और मामला पुनः विस्तृत सुनवाई हेतु भेज दिया है। अब दोनों पक्षों को अपनी पहचान, वैवाहिक स्थिति तथा कथित संबंध से जुड़े समस्त दस्तावेज व साक्ष्य पेश करने होंगे, जिसके बाद पारिवारिक न्यायालय सत्य का निर्धारण कर अंतिम निर्णय देगा।









