भगवान राम को कूड़े के ढेर पर तीर चलाते दिखाने वाले पोस्टर पर विवाद, एफआईआर

पुलिस ने शिकायत मिलने पर छोटा शिमला थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 के अंतर्गत दर्ज किया गया है। यह मामला अधिवक्ता भरत भूषण, जो कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक हैं, की शिकायत पर दर्ज हुआ है। शिकायत में कहा गया है कि नगर निगम शिमला ने सचिवालय के समीप एक ऐसा बैनर लगाया, जिसमें भगवान श्रीराम को कचरे के ढेर पर तीर चलाते दिखाया गया है। यह चित्रण सनातन धर्म और हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।

भरत भूषण ने पुलिस को यह भी बताया कि ऐसा संभव है कि इसी तरह के अन्य पोस्टर शहर के अन्य हिस्सों में भी लगाए गए हों। इससे आम जनता और श्रद्धालुओं में रोष बढ़ सकता है। इस मामले की जांच एएसआई रूप लाल को सौंपी गई है, जो वर्तमान में थाना ईस्ट में तैनात हैं।

वहीं, इस पूरे विवाद पर विपक्षी दल भाजपा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिमला जिला भाजपा अध्यक्ष केशव चौहान ने कहा कि नगर निगम ने केंद्र सरकार द्वारा जारी मूल पोस्टर में बदलाव किया है। यह सीधा-सीधा सनातन धर्म का अपमान है।

वहीं, नगर निगम की ओर से सफाई दी गई है कि यह पोस्टर केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत ही लगाया गया है और निगम ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया।

देवभूमि संघर्ष समिति ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करार देते हुए छोटा शिमला थाने में लिखित शिकायत दी थी। समिति ने 24 घंटे के भीतर ऐसे सभी पोस्टर हटाने की मांग की थी, अन्यथा सचिवालय के बाहर चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी। बहरहाल इसे लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।

बता दें कि नगर निगम ने हाल ही में स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शहरभर में ये बोर्ड लगाए हैं, लेकिन भगवान श्रीराम की तस्वीर का इस्तेमाल अब नगर निगम के लिए सिरदर्द बन गया है।