हिसार में कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने भविष्य की योजनाओं के लिए किया मंथन
हिसार, 27 नवंबर । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 85वें इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स सम्मेलन के दूसरे दिन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं एवं कृषि अर्थशास्त्रियों द्वारा विभिन्न विषयों से संबंधित 222 पेपर प्रस्तुत किए गए। सम्मेलन में देश के विभिन्न 18 राज्यों से लगभग 300 वैज्ञानिक, नीति निर्माता, शोधकर्ता एवं कृषि अर्थशास्त्री भाग ले रहे हैं। इन राज्यों में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मेघालय, मणिपुर, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, आसाम, अरूणाचल प्रदेश, केरल, तेलांगाना व हरियाणा शामिल हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने सम्मेलन में विभिन्न चार तकनीकी सत्रों के दौरान प्रस्तुत किए गए पेपर के बारे में गुरुवार काे बताया कि ग्रामीण परिवर्तन और समावेशी विकास के अंतर्गत कृषि का आधुनिकीकरण, ग्रामीण उद्योगों का विस्तार, डिजिटल ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कौशल विकास और रोजगार को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। समावेशी विकास को लेकर सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, कमजोर वर्गों के लिए नीतियां, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए क्रेडिट, बीमा और मार्केटिंग जैसी योजनाओं पर विशेषज्ञों द्वारा मंथन किया गया। साझा संसाधनों की पुनर्कल्पना और संस्थागत नवाचार हेतु शासन मार्ग को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव व जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न मुद्दों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने बताया कि डब्ल्यूटीओ, आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता अंतर संबंधों के मार्ग का निर्धारण विषय पर समीक्षा करते हुए कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने कहा कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था और पर्यावरणीय लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना अति आवश्यक है। पीएचडी स्कॉलर सेशन के दौरान शोध कार्यों व शोध प्रबंधन सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
कृषि महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी मलिक ने बताया कि सम्मेलन का प्रथम तकनीकी सत्र जो ग्रामीण परिवर्तन और समावेशी विकास विषय पर आयोजित किया गया जिसमें 144 पेपर प्रस्तुत किए गए। द्वितीय तकनीकी सत्र साझा संसाधनों की पुर्नकल्पना और संस्थागत नवाचार हेतु शासन मार्ग पर आधारित था, जिसमें 22 पेपर प्रस्तुत किए गए। उन्होंने बताया कि तृतीय तकनीकी सत्र डब्ल्यूटीओ, आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता अंतर संबंधों के मार्ग का निर्धारण पर था। इस तकनीकी सत्र में 26 पेपर प्रस्तुत किए गए। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में चौथा सत्र पीएचडी स्कॉलर पर आधारित रहा। इस सेशन के दौरान विभिन्न विषयों से संबंधित 30 पेपर प्रस्तुत किए गए। सम्मेलन में एक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका कुलपति ने अवलोकन किया।









