छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का अब अंत करीब, निर्णायक जीत की बड़ी घोषणा डेडलाइन से पहले संभव
संपूर्ण भारत में पिछले छह दशकाें से नक्सल नेटवर्क 180 जिलों तक फैला था, इसमें सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ था। इसमें भी केरल राज्य से बड़े भूभाग में विस्तारित बस्तर संभाग के वन आच्छदित इलाके देश भर के नक्सलियाें के सबसे सुरक्षित पनाहगाह थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2014 से पहले तक 125 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो पिछले 11 साल में सिमटकर 11 जिलाें तक सीमित हो चुके हैं। यह आंकड़ा भी अब पुराना हाे चुका है, वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के अब मात्र तीन जिलाें तक नक्सवाद के सिमटने की बात कही जा रही है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने शनिवार को बताया कि अब पूरे बस्तर संभाग में हथियार बंद नक्सलियों की संख्या 120 से 150 के बीच ही शेष बची है। पिछले छह दशक से विस्तारित नक्सलवाद का अब अंत करीब दिख रहा है। अब देश निर्णायक जीत के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा है। देश में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिले छत्तीसगढ़ में अब लगभग सभी बड़े नक्सली कैडर खत्म हो चुके हैं। नक्सलियों के सुप्रीम लीडर बसवा राजू के मारे जाने के बाद से संगठन ताश के पत्तों की तरह बिखरता दिख रहा है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, और झारखंड के प्रभावित जिलों में शांति बहाली पर तेजी से काम हो रहा है। डेडलाइन से पहले भी बड़ी घोषणा संभव है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी 2024 को छत्तीसगढ़ आकर एक डेडलाइन तय की थी और कहा था कि 31 मार्च 2026 से पहले देश से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। उस वक्त सबने कहा था कि यह दावा बहुत बड़ा है, लेकिन बीते 23 महीने में केंद्र और देश के नक्सल प्रभावित राज्यों ने लाल आतंक को खत्म करने जिस दृढ़ता से काम किया उसका अब सुखद नतीजा सामने है। उन्होंने कहा कि केंद्र की घोषित समय सीमा जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। नक्सल प्रभावित राज्यों के पराक्रमी जवानों ने लगातार आपरेशनों, साहस और रणनीति के दम पर इस हिंसक विचारधारा को घुटनों पर ला दिया है।
आई ने कहा कि बस्तर में कभी नक्सली खुलेआम कई-कई दिनाें तक हजाराें ग्रामीणाें काे बुलाकर बड़ी-बड़ी आम सभा का आयाेजन करते थे, जिसमें बकायदा स्थानीय पत्रकाराें काे बुलाकर इसकी नुमाइश करते थे वहीं हजाराें की भीड़ बुलाकर रूह कपा देने वाली कथित जन-अदालत लगाकर ग्रामीणाें काे माैत की सजा दी जाती थी, यह सब अब अतीत का हिस्सा बन गया है।
नक्सलियों का सबसे बड़ा लीडर बसवा राजू मई 2025 में अबूझमाड़ के जंगल में मारा गया। फोर्स को बसवा के पास से जो मिला उसने नक्सलियों का तिलिस्म तोड़ दिया। बसवा राजू के लैपटॉप ने ऐसे राज खोले कि नक्सलियों की घेराबंदी में मदद मिली। वहीं सबसे दुर्दात लीडर बस्तर के माड़वी हिड़मा को इसी महीने आंध्र प्रदेश में ढेर कर दिया गया। इसके बाद से नक्सलियों में दहशत और अफरा-तफरी है। उसके खात्मे के बाद से लगातार बस्तर समेत देशभर में नक्सलियों के आत्मसमर्पण हो रहे हैं। इसके साथ ही नक्सलियों को सपोर्ट करने वाले फाइनेंशियल नेटवर्क को बड़े ही व्यवस्थित तरीके से खत्म कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानि एनआईए की एक विशेष विंग ने देशभर में नक्सलियों की 40 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के ऑपरेशंस से इनकी करीब 12 करोड़ की जब्ती हुई है। राज्यों ने भी नक्सलियों के 40 करोड़ जब्त किए हैं। इस कार्रवाई से अर्बन नक्सलियों को तगड़ा झटका लगा है।
बस्तर आईजी ने बताया कि नक्सलवाद से अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा, तो वह छत्तीसगढ़ है। छत्तीसगढ़ का बस्तर पिछले चार दशक से लाल आतंक के दंश का सामना कर रहा था। उन्हाेंने कहा कि मैं नक्सल ऑपरेशन को लंबे वक्त से बेहद करीब से देख रहा हूं। लगभग ढाई साल पहले हमने बस्तर से लाल आतंक के खात्मे का एक स्पेशल मैप तैयार किया। इस मैप में हमने यह दर्शाया कि नक्सलियों के प्रभाव वाला इलाका कौन सा है। यह मैप हमारे स्पेशल प्लान का बड़ा हिस्सा था।
उन्होंने कहा कि इसी के आधार पर हमने जनवरी 2024 के बाद से बस्तर में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित करना शुरू किए। जहां कभी कोई सरकारी कर्मी नहीं पहुंचे थे, ऐसे इलाकों में कैंप स्थापित होने से बड़ा बदलाव शुरू हुआ। ग्रामीणों का विश्वास हम जीतते गए। इस बीच नक्सलियों पर भी दबाव बढ़ता गया। यह कैंप सिर्फ सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि ग्रामीणो के स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य जरूरतों का केंद्र भी बने हैं। सरकार की पहुंच इन कैंपों की वजह से गांवो में तेजी से बढ़ी है। इसके साथ ही बीते 23 महीने में कई बड़े नक्सली कैडराें काे ढेर कर दिया, जिससे पूरा नक्सली संगठन बिखर गया। उन्हाेंने बताया कि अब पूरे बस्तर संभाग में हथियारबंद नक्सलियों की संख्या 120 से 150 के बीच ही शेष बची है। आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि ज्यादातर नक्सली या तो मारे गए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अभी जो थोड़े बहुत हथियार बंद नक्सली बचे हैं वह नक्सलियों के साउथ डिवीजन कमेटी के साथ हैं।









