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लाल किला ब्लास्ट केस के चारों आरोपित 10 दिन की एनआईए कस्टडी में भेजे गए

एनआईए ने पुलवामा के डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, जम्मू-कश्मीर के डॉ. आदिल अहमद रतहर, लखनऊ की डॉ. शाहीन सईद और जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती इरफान वागे को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करके पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। इससे पहले एनआईए ने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी के सहयोगी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को श्रीनगर से गिरफ्तार किया था, जिसे भी 10 दिनों की एनआईए हिरासत में भेजा गया है।इसके पहले 16 नवंबर को गिरफ्तार किये गए आमिर रशीद अली को भी दस दिनों की एनआईए हिरासत में भेजा गया था।

एनआईए के मुताबिक दानिश ने ड्रोन में तकनीकी बदलाव किए और कार बम विस्फोट से पहले रॉकेट तैयार करने की कोशिश की। एनआईए के मुताबिक दानिश ने उमर उन नबी के साथ मिलकर पूरी साजिश को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। राजनीति विज्ञान में स्नातक दानिश को आत्मघाती हमलावर बनाने के लिए उमर ने ब्रेनवाश किया। वह अक्टूबर, 2024 में कुलगाम की एक मस्जिद में डॉक्टर मॉड्यूल से मिलने को तैयार हुआ, जहां से उसे हरियाणा के फरीदाबाद में अल फलाह विश्वविद्यालय में रहने के लिए ले जाया गया। दानिश को पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत में लिया था और पूछताछ में उसने खुलासा किया था कि मॉड्यूल के अन्य लोग उसे प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के लिए ओवर-ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) बनाना चाहते थे, जबकि उमर कई माह से उसका ब्रेनवॉश कर आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार कर रहा था।

एनआईए के मुताबिक उमर की यह कोशिश इस साल अप्रैल में उस समय नाकाम हो गई, जब दानिश ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति और इस्लाम में आत्महत्या को गलत मानने का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया था। इससे पहले एनआईए ने आमिर रशीद अली को एनआईए ने 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था। लालकिला पर ब्लास्ट के मामले में एनआईए की ओर से आमिर की पहली गिरफ्तारी थी। आमिर रशीद अली पर आरोप है कि उसने मुख्य आरोपित उमर को कार लाने में मदद की।

लाल किला के पास 10 नवंबर को आई-10 कार में ब्लास्ट हुआ था। ये कार आमिर रशीद अली के नाम पर थी। इस ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हाे गई थी और 32 घायल हो गए थे।